1. (प्रथम दिन) - शैलपुत्री देवी: शैलपुत्री देवी का पूजन सबसे पहले किया जाता है। यह देवी हिमालय की पुत्री मानी जाती हैं और इनका वाहन बैल है। इनकी पूजा से शारीरिक और मानसिक बल मिलता है।

2. (द्वितीया दिन) - ब्रह्मचारिणी देवी: ब्रह्मचारिणी देवी तपस्विनी और साधनाओं की देवी मानी जाती हैं। इनकी पूजा से साधना और तप की शक्ति मिलती है।

3. (तृतीया दिन) - चंद्रघंटा देवी: चंद्रघंटा देवी का रूप बहुत ही भव्य और प्रभावशाली होता है। इनकी पूजा से मानसिक शांति और शौर्य मिलता है।

4. (चतुर्थी दिन) - कुष्मांडा देवी: कुष्मांडा देवी को ब्रह्मा की शक्ति माना जाता है। इनकी पूजा से उत्पत्ति और रचनात्मक शक्ति मिलती है।

5. (पंचमी दिन) - स्कंदमाता देवी: स्कंदमाता देवी भगवान कार्तिकेय की माता हैं। इनकी पूजा से संतान सुख और मातृत्व की शक्ति प्राप्त होती है।

6. (षष्ठी दिन) - कात्यायनी देवी: कात्यायनी देवी का रूप नवरात्रि में युद्ध की देवी के रूप में पूजा जाता है। इनकी पूजा से बुराई और राक्षसों का नाश होता है।

7. (सप्तमी दिन) - कालरात्रि देवी: कालरात्रि देवी का रूप बहुत ही उग्र और शक्तिशाली होता है। इनकी पूजा से नकारात्मकता, डर और बुरे विचारों का नाश होता है।

8. (अष्टमी दिन) - महागौरी देवी: महागौरी देवी का रूप अत्यंत शुभ और कल्याणकारी है। इनकी पूजा से शांति, सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

9. (नवमी दिन) - सिद्धिदात्री देवी: सिद्धिदात्री देवी का रूप सर्व सिद्धियों को देने वाली देवी के रूप में पूजा जाता है। इनकी पूजा से सभी प्रकार की सिद्धियों और इच्छाओं की पूर्ति होती है।