1.जन्म और प्रारंभिक संघर्ष: डॉ. भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के महू में एक दलित परिवार में हुआ था। बचपन में उन्हें सामाजिक भेदभाव और जातिवाद का सामना करना पड़ा।
2. शिक्षा में उत्कृष्टता: डॉ. अंबेडकर ने लंदन स्कूल ऑफ इकॉनॉमिक्स और कोलंबिया विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा प्राप्त की, जो उस समय एक बड़ी उपलब्धि थी।
3. संविधान निर्माण: डॉ. अंबेडकर भारतीय संविधान के प्रमुख शिल्पकार थे। वे संविधान निर्माण समिति के अध्यक्ष थे और उन्होंने एक समतामूलक और धर्मनिरपेक्ष संविधान तैयार किया।
4. सामाजिक न्याय के लिए संघर्ष: डॉ. अंबेडकर ने जीवनभर सामाजिक भेदभाव, जातिवाद और असमानता के खिलाफ संघर्ष किया और समानता व सामाजिक न्याय के लिए आवाज़ उठाई।
5. महिलाओं और दलितों के अधिकार: डॉ. अंबेडकर ने महिलाओं, दलितों और पिछड़े वर्गों के अधिकारों के लिए काम किया और उनके लिए अवसरों के द्वार खोले।
6. बौद्ध धर्म को अपनाना: डॉ. अंबेडकर ने बौद्ध धर्म को अपनाया और इसे एक सामाजिक और आध्यात्मिक मुक्ति के रूप में प्रस्तुत किया। उन्होंने अपने अनुयायियों को भी बौद्ध धर्म अपनाने की प्रेरणा दी।
7. शिक्षा का महत्व: डॉ. अंबेडकर ने शिक्षा को सामाजिक परिवर्तन का सबसे बड़ा हथियार माना और युवाओं को "शिक्षित बनो, संगठित रहो और संघर्ष करो" का मंत्र दिया।
8. न्याय और समानता का प्रतीक: डॉ. अंबेडकर ने भारतीय समाज में न्याय, समानता और समावेशन की नींव रखी, जिससे उन्होंने भारत को एक न्यायपूर्ण और समतामूलक देश बनाने का सपना देखा।
9. विरासत और प्रेरणा: डॉ. अंबेडकर का जीवन आज भी प्रेरणा का स्रोत है। उनका योगदान भारतीय समाज और लोकतंत्र को मजबूत करने में अमूल्य है।
10. अंबेडकर जयंती: डॉ. अंबेडकर की जयंती 14 अप्रैल को 'अंबेडकर जयंती' के रूप में मनाई जाती है, जो उनके संघर्ष और योगदान को याद करने का अवसर है।