1950s के फैशन में देशभक्ति की झलक साफ़ दिखाई देती थी। इस दौर का फैशन आज़ादी की खुशबू से सराबोर था।

हाथ से काती हुई खादी स्वदेशी मूवमेंट, वैश्विक फैशन के बढ़ते प्रदर्शन और 1990 में भारतीय अर्थव्यवस्था के आर्थिक उदारीकरण के कारण आई तेजी का परिणाम था।

आज़ादी के बाद फैशन पूरे भारत में एक उद्योग के रूप में मजबूती से स्थापित हो गया। खादी देश का आर्थिक हिस्सा बन कर उभरी थी।

इस दौरान अलग-अलग तरीके से पहने जाने वाली खादी की साड़ियाँ या सिंपल सलवार-कमीज लोगों की पसंद हुआ करते थे।

भारत में कपड़ों का इतिहास प्राचीन काल से है, फिर भी फैशन एक नया उद्योग है, क्योंकि यह क्षेत्रीय विविधताओं के साथ पारंपरिक भारतीय कपड़े हैं।

चाहे वह साड़ी, घाघरा चोली या धोती हो, जो बाद के शुरुआती दशकों से लेकर आज तक लोकप्रिय रहें हैं।