चैत्र नवरात्री का चौथा दिन है बेहद खास, घर में जरूर करे मां कुष्मांडा की आरती। 

चैत्र नवरात्री का पावन उत्सव चल रहा है। आज नवरात्री का चौथा दिन शुक्रवार है। आज देवी दुर्गा के चौथे स्वरूप मां कूष्‍मांडा की उपासना की जाएगी। कूष्मांडा, यानि कुम्हड़ा। कूष्मांडा एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ है- कुम्हड़ा यानि कि कद्दू जिसका हम घर में सब्जी के रूप में इस्तेमाल करते हैं। मां कूष्मांडा को कुम्हड़े की बलि बहुत ही प्रिय है, इसलिए मां दुर्गा का नाम कूष्मांडा पड़ा। नवरात्रि के चौथे दिन मा कूष्मांडा की पूजा करें। उन्हें भोजन में दही और हलवा का भोग लगाएं।  इसके बाद उन्हें फल, सूखे मेवे और सौभाग्य का सामान अर्पित करें। इससे मां कूष्मांडा प्रसन्न होती हैं और भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण करती हैं। देवी मां की आठ भुजायें होने के कारण इन्हें अष्टभुजा वाली माता भी कहा जाता है। इनके सात हाथों में कमण्डल, धनुष, बाण, कमल, अमृत से भरा कलश, चक्र और गदा नजर आता है, जबकि आठवें हाथ में जप की माला रहती है। 

मां कुष्मांडा की आरती, 

कूष्मांडा जय जग सुखदानी।
मुझ पर दया करो महारानी॥
पिगंला ज्वालामुखी निराली।
शाकंबरी मां भोली भाली॥
लाखों नाम निराले तेरे।
भक्त कई मतवाले तेरे॥
भीमा पर्वत पर है डेरा।
स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥
सबकी सुनती हो जगदम्बे।
सुख पहुंचती हो मां अम्बे॥
तेरे दर्शन का मैं प्यासा।
पूर्ण कर दो मेरी आशा॥
मां के मन में ममता भारी।
क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥
तेरे दर पर किया है डेरा।
दूर करो मां संकट मेरा॥
मेरे कारज पूरे कर दो।
मेरे तुम भंडारे भर दो॥
तेरा दास तुझे ही ध्याए।
भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥

 

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