1 .नवरात्रि का पहला दिन माता 'शैलपुत्री' को समर्पित माना जाता है। देवी दुर्गा ने पार्वती के स्वरुप में हिमालय के घर जन्म लिया था, जिस वजह से देवी का नाम शैलपुत्री पड़ा था।

2 दूसरा दिन मां' ब्रह्मचारिणी' की पूजा जीवन में सफलता के लिए और सिद्धियां पाने के लिए की जाती है। मां ब्रह्मचारिणी देवी का अविवाहित रूप है। मां ब्रह्मचारिणी प्यार और बलिदान को दर्शाती हैं।

3 तीसरा दिन मां 'चंद्रघंटा' को समर्पित माना जाता है बुरे कुकर्मों और पापों से मुक्ति दिलाती हैं। नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है।

4 चौथा दिन दुर्गा देवी के रुप मां 'कुष्मांडा' की पूजा की जाती है, इस दिन नारंगी रंग के कपड़े पहनकर पूजा करने से माता प्रसन्न होती हैं और आशीर्वाद देती हैं।

5 पांचवां दिन मां 'स्कंदमाता' की अराधना की जाती है, माता के चार हाथ और तीन आंखें हैं. भगवान कार्तिकेय की माता हैं देवी स्कंदमाता हैं।

6 नवरात्रि के छठे दिन मां 'कात्यायनी' की पूजा की जाती है, यह दिन माँ कात्यायनी को समर्पित होता है साथ ही वह बाघ की सवारी करती हैं।

7 नवरात्रि का सातवां दिन मां 'कालरात्रि' को समर्पित माना जाता है, देवी का यह रुप सबसे अक्रामक है। देवी के इस रूप से दुश्मन दूर होते हैं

8 नवरात्रि के आठवें दिन मां 'महागौरी' की पूजा- अर्चना की जाती है। माता महागौरी के पूजन से जीवन के सभी दुख दरिद्रता से मुक्ति मिलती है।

9 नवरात्रि का नौवां और आखिरी दिन दिन मां' सिद्धिदात्री' के पूजन के लिए होता है साथ ही माता सिद्धिदात्री कमल पर बैठी हैं। मां सिद्धिदात्री की पूजा से हमारे जीवन में सभी सिद्धियां आती हैं।